श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि। व्याख्या – श्री रामचन्द्र जी ने हनुमान जी के प्रति अपनी प्रियता की तुलना भरत के प्रति अपनी प्रीति से करके हनुमान जी को विशेष रूप से महिमा–मण्डित किया है। भरत के समान राम का प्रिय कोई नहीं है, क्योंकि समस्त जगतद्वारा https://aloisp417tsr3.oblogation.com/profile